रवि शंकर मिश्रा sentence in Hindi
pronunciation: [ revi shenker misheraa ]
Examples
- उसकी भाभी रमा देवी पत्नी कृपा शंकर मिश्रा उर्फ मोनू मिश्रा अपने कमरे में तथा रवि शंकर मिश्रा की मॉ सुशीला घर के बाहर मड़हे में सोई थी।
- यद्यपि पत्रावली पर कोई दस्तावेजी साक्ष्य इस तरह का मौजूद नहीं है कि आवेदक रवि शंकर मिश्रा द्वारा दर्ज करायी गयी तहरीर पर पुलिस द्वारा क्या कार्यवाही की गयी।
- रवि शंकर मिश्रा द्वारा दी गयी लिखित तहरीर पर, जिसके आधार पर यह मुकदमा पहले दर्ज हुआ था, सच्चाई न होने की वजह से कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
- यद्यपि आरोप पत्र में चौथे अभियुक्त के रूप में अभियुक्त रवि शंकर मिश्रा का नाम अभियुक्तगण की श्रेणी में दर्ज है, लेकिन पत्रावली सेशन कमिट होते समय मुख्य न्यायिक मजिस्टेट द्वारा अभियुक्त रविशंकर मिश्रा की पत्रावली किशोर अपराधी होने के कारण पृथक करके किशोर न्याय बोर्ड को भेजी गयी है।
- संक्षेप में अभियोजन कहानी यह है कि दिनांक 3-4-2008 को रवि शंकर मिश्रा पुत्र अखिलेश मिश्रा निवासी ग्राम लवायन थाना औद्योगिक क्षेत्र जिला इलाहाबाद ने एक लिखित तहरीर देकर इस आशय का मुकदमा दर्ज कराया कि दिनांक 3-4-2008 को आवेदक जब खाना-पीना खाकर अपने मकान के ऑगन में सो रहा था।
- विवेचना के दौरान विवेचक ने आवेदक नित्यानन्द मिश्रा द्वारा दी गयी लिखित तहरीर को सच मानकर विवेचनोपरान्त अभियुक्तगण कृपा शंकर मिश्रा उर्फ मोनू, अखिलेश मिश्रा, श्रीमती सुशीला उर्फ बिटोला व रवि शंकर मिश्रा के विरूद्ध आरोप पत्र अन्तर्गत धारा-498ए, 304बी, 211,120बी, 506 भारतीय दण्ड संहिता एवं 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम प्रेषित किया है।
- मै खुद को ऐसे उड़िया आलोचना कि धारा में सम्मिलित करते हुए, जिसमे कि रवि शंकर मिश्रा भी शामिल है और जिन्होंने विवेच्चय उपन्यास का बाख्तियन और देरिदियन पाठ-व्याख्या प्रस्तुत किया, इस बात को दर्शाना चाहता हूँ कि इस उपन्यास के पाठ की शक्ति का केन्द्र भाषा और कथानक-शैली के पुनराविष्कार में है.
- रवि शंकर मिश्रा की इस तहरीर पर थाना हाजा पर मुकदमा अपराध संख्या-63 / 2008 अन्तर्गत धारा-302,504 भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन दौरान विवेचना पुलिस को एक अन्य लिखित तहरीर, जो मृतका रमा देवी के दादा नित्यानन्द मिश्रा पुत्र शिव मंगल निवासी ग्राम छीड़ी पो0 छीड़ी थाना बारा जिला इलाहाबाद से दिनांक 5-4-2008 को प्राप्त हुई जो पत्रावली पर प्रदर्श-क1 के रूप में दर्ज है।
- दौरान बहस सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) द्वारा न्यायालय को यह बताया गया कि रवि शंकर मिश्रा ने जो तहरीर थाना हाजा पर दिया था जिसके आधार पर धारा-302/504 भारतीय दण्ड संहिता का मुकदमा दर्ज हुआ था वह सच नहीं पाया गया, बल्कि आवेदक नित्यानन्द मिश्रा, जो मृतका के दादा है, की तहरीर में दी गयी बातें सच पायी गयी इसलिए मुकदमा अपराध संख्या-63/2008 जिस पर पहले ही मुकदमा दर्ज हुआ था के अन्तर्गत विवेचक ने इन अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया है और इसी में अभियोजन पक्ष द्वारा सम्पूर्ण साक्ष्य अंकित करायी गयी है।
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